भारत में हर साल Dipawali का त्यौहार बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है दीपावली के त्यौहार पर घरों में अनेकों दीप जलाए जाते हैं और अनेकों खुशियां दीपावली अपने साथ लेकर आपके घर में प्रवेश करती हैं लेकिन इस बात को बहुत कम व्यक्ति जानते होंगे कि Dipawali का त्यौहार क्यों मनाया जाता है और हमें खुशियां देने वाला दीपावली का त्यौहार कब से शुरू हुआ इस त्यौहार के दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए हमने आपके साथ अपनी प्रतिक्रिया साधना की है इस लेख को पूरा पढ़ कर आप दीपावली के विषय में संपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते हैं जो नीचे बताई गई है
किन धर्मों में dipawali के त्यौहार को मनाया जाता है?
दीपावली वैसे तो सभी धर्मों के लिए इसमें कोई प्रतिबंध नहीं है परंतु कुछ घर में ही दीपावली को हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं जिनमें हिंदू धर्म जैन धर्म और सिख धर्म यह इनका प्रमुख धार्मिक त्योहारों में से एक है दीपावली शब्द संस्कृत के शब्दावली शब्द Dipawali से लिया गया है जिस का प्रतीक है अंधेरे पर प्रकाश की जीत यानी जब बुराई पर अच्छाई की जीत होती है तब एक रोशनी जलाई जाती है जो दीयों के रूप में प्रतीत होती है
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उसी प्रकार जब त्रेतायुग में भगवान श्री राम रामायण का अंत कर कर बुराई को हराया था अयोध्या वापस आए तो उनके आगमन पर लाखों दिए जलाए गए जिसे हम दीपावली के रूप में मनाते हैं
Dipawali का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?
इसी दिन भगवान श्रीराम नहीं बुराई के प्रचारक 10 सिर वाले रावण का अंत बुराई पर अच्छाई की जीत हासिल की थी जब भगवान श्री राम अपना 14 वर्ष का वनवास फोन का अयोध्या वापस लौटे थे तब वहां की प्रजा ने अपने राजा पुनः अयोध्या आगमन पर लाखों दिए जलाए थे तभी से Dipawali का त्यौहार दियो के रूप में मनाई जाने लगा इस दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है क्योंकि भगवान श्री राम और माता सीता को विष्णु और लक्ष्मी जी का स्वरूप माना जाता है Dipawali त्यौहार हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है इस दिन सभी के मन में हर्ष और उल्लास समय होता है क्योंकि भारत देश का यह त्योहार एक ऐसा त्यौहार है जिस दिन संपूर्ण भारत जगमगा उठता है सभी एक दूसरे के साथ अपना प्रेम बांटते हैं नए नए पकवान बनाते हैं और नई नई वस्त्र पहनते हैं
सिखों के लिए Dipawali त्यौहार की क्या मान्यता है?
Dipawali त्यौहार को किस लिए मनाते हैं कि उनका मानना है जब श्री गुरु गोविंद जी ने अपने और कई हिंदू और राजाओं को ग्वालियर के किले से मुस्लिम शासक जहांगीर की कैद से मुक्त कराया था और वे वहां से अमृतसर के स्वर्ण मंदिर मैं दाखिल हुए थे तब सभी सिखों ने बंदी मुक्त दिन मनाया गया था इसलिए सभी सीख इस दिन को बंदी मुख्य अतिथि के रूप में दीपावली त्योहार को मनाते हैं
2022 में दीपावली का दिन और शुभ मुहूर्त क्या है?
दीपावली से 1 दिन पहले धनतेरस का दिन होता है और उसके अगले दिन दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है दीपावली का त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या की तिथि को 22 अक्टूबर मनाई जाएगी इस दिन Dipawali पूजन का शुभ मुहूर्त है संध्या काल 4:19 मिनट तक दीपावली पूजन का शुभ मुहूर्त
दीपावली के दिन किन देवी देवताओं की पूजा की जाती है
दीपावली के दिन भगवान श्री राम के मान्यता को देखते हुए इस दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है बहुत सारे व्यक्ति Dipawali के दिन केवल माता लक्ष्मी का पूजन करते हैं जोकि एक अधूरा पूजन माता लक्ष्मी हमेशा भगवान विष्णु विराजमान होती है इसलिए माता लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु के साथ अति आवश्यक हिंदू ग्रंथों के अनुसारमाता लक्ष्मी भगवान विष्णु की हरदा में नहीं है उनकी पत्नी है
2022 mein diwali kaun sa mahina mein hai
2022 में Dipawali 24 अक्टूबर कार्तिक मास की अमावस्या की तिथि है दीपावली का पूजन संध्याकाल में 4:19 को सोमवार बताया गया है इस समय आप माता लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की पूजा जरूर करें तत्पश्चात अपने अन्य कार्य को पूर्ण करें
दीपावली के दिन क्या होता है
दीपावली के दिन सभी के मन में हर्ष और उल्लास भरा हुआ होता है सभी एक दूसरे से अपने पकवानों और मिठाइयों को एक दूसरे के साथ बैठ कर खाते हैं एक दिन सभी अपने घरों में अनेकों दीप प्रज्वलित करते हैं सभी नए नए कपड़े पहनते हैं और अपने घर को साफ और सुंदर बनाते हैं Dipawali के दिन हमें अपने पर्यावरण का विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए गरीबों को खाना खिलाना चाहिए और जिन्हें पत्र नहीं है उन्हें वस्त्र देने चाहिए
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दीपावली के दिन हमें क्या करना चाहिए
जिस दिन हमें विशेष तौर पर गरीबों के साथ अपना भोजन साझा करना चाहिए जिन व्यक्तियों के पास कपड़े नहीं है उन व्यक्तियों को वस्त्र दान में देने चाहिए जो व्यक्ति गरीब होते हैं उनकी मदद करनी चाहिए और आपस में सभी लड़ाई झगड़े खत्म कर कर एक दूसरे के साथ मिलकर रहना चाहिए क्योंकि किसी भी त्योहार का मतलब है आपस में प्रेम को बढ़ावा देना यदि आप किसी के प्रति अपने मन में उत्पन्न करते हैं तब आप किसी तोहार हो खुशी के साथ बना ही नहीं सकते
दीपावली के संदर्भ में पौराणिक कथाएं
सतयुग: सर्वप्रथम यह Dipawali सचिव में ही मनाई गई थी जब देवता और असुरों के बीच मिलकर समुद्र मंथन किया गया था उस समय समुद्र में से 14 रत्न बाहर आए थे इन 14 रत्नों के लिए ही समुद्र मंथन किया गया था जिसमें एरावत पारिजात रंभा और कालकूट जैसे रत्नों में से एक रत्न धनमंत्री द्वारा अमृत लेकर बाहर आए जो चिकित्सा के दे की महा जयंती पर ही दीप उत्सव का पर्व मनाया जाता है जिसे Dipawali कहा गया है जब समुद्र मंथन के समय कालकूट विष ने चारों तरफ सभी प्राणियों को निर्जीव बनाना शुरु कर दिया तब भगवान शिव द्वारा इसे ग्रहण किया गया तब सभी देवताओं में एक हर्ष का उल्लास दिखाई दिया और उन्होंने एक खुशी उत्पन्न की
त्रेतायुग: इस युग को भगवान श्री राम के नाम से अत्यधिक जाना जाता है इसी युग में सबसे बड़े अधर्मी दशानन का वध कर भगवान श्री राम असत्य पर सत्य की जीत हासिल की थी जब वह 14 वर्ष के वनवास के पश्चात अयोध्या पुनः आगमन करते है तब सारी अयोध्या उनके आगमन पर लाखों दिए जालती है इसी के रूप में Dipawali मनाई जाती है
द्वापरयुग: इस युग में इस युग को भगबान श्री कृष्ण की लीलाओ का युग रहा है इस युग में भगबान ने एनेको लीलाए की जिसमे से एक गोवर्धन पर्व से जुड़ी हें इसमे भगवान ने गोवर्धन पर्वत को उढ़ाकर सभी गोकुल वासिओ को इन्द्र के क्रोध से बचाया तथा और इन्द्र का अहंकार दूर किया था वेसे भी बलराम और कृष्णं अन्न के देबता हे उनकी यह प्रथा आज पभी Dipawali के एक दिन बात गोवर्धन पूजा के रूप में मनाई जाती है
दूसरा कारण यह है की जब कृष्ण भगवान अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ नरकासुर के बद्ध करने के लिए गए तब युद्ध के समय सत्यभामा ने कृष्ण भगवान की बहुत मदद की और भगवान नरकासुर को मरने में सफल रहे और 99 बंदक कन्यों से विवहा किया तब से दीपावली से एक दिन पूर्व नरकाचतुर्थी के रूप में मनाया जाता है
दीपावली पर हमे किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए
इस दिन हमे कोई लड़ाई झगड़ा नहीं करना चाहिए और अपने से छोटो का भी ध्यान रखना चाहिए सभी से प्रेम के साथ व्यवहार रखना चाहिए गरीबों को खाना देना चाहिए ध्यान पूर्वक सभी कार्य सफलता पूर्वक पूरे करें अपने घरों की साफ सफाई रखे और दूसरों के साथ अपने व्यंजक वाटे सभी का ध्यान रहे और कोई भी लड़ाई झगड़ा ना करे इस दिन प्रदूषण करने से बचना चाहिए यानी कि हमें पटाखे नहीं फोड़ने चाहिए इनसे बहुत अत्यधिक मात्रा में वायु प्रदूषण होता है हमें दीपावली के दिन मिट्टी के दिए जलाने चाहिए क्योंकि यह त्योहार किसी इलेक्ट्रॉनिक बल्ब का नहीं मिट्टी के दीयों का है
किन – किन बातों से बचना चाहिए
कोई भी ऐसा कार्य करने से बचें जो पर्यावरण को हानि पहुंचाता है जैसे अत्यधिक प्रदूषण करना जिसमें अत्यधिक पटाखे फोड़ने यह प्रकृति को नुकसान पहुंचाते हैं और इसमें आपके पैसे भी बिना फालतू के खर्च होते हैं इनसे साउंड पॉल्यूशन भी होता है और फिर बीमारी फैला शुरू हो जाती है इस दिन अत्यधिक दिए जलाएं और और कम से कम बिजली का खर्च करें जिससे बिजली की बचत होगी और आपके पैसों की बचत होगी क्योंकि यह त्यौहार दीपों का त्योहार है इसमे आप बिना फालतू के इलेक्ट्रॉनिक समान पर अपना पैसा बर्बाद कर देंगे और इस पर किसी को लाभ भी नहीं मिलेगा आप मार्केट में जाकर मिट्टी से बने दिए खरीदें और सभी को लाभ हो जाएं
Dipawali से जुड़े कुछ प्रश्न
1 – प्राचीन कैलेंडर के अनुसार दीपावली का उत्सव 24 अक्टूबर कार्तिक मास के 15 दिन बताई गई है
2 – दीपावली के दिन माता लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए
3 – दीपावली बनाने की कई पौराणिक कथाएं लेकिन उसमें सबसे महत्वपूर्ण है भगवान श्री राम का अयोध्या पुनरागमन
4 – दीपावली के दिन लाखों करोड़ों दिए पूरे भारत में जलाई जाती है