भारतवर्ष में Ahoi Ashtami व्रत का महत्व
भारत विश्व में अपनी विशेष संस्कृति और अनोखी परंपराओं के लिए जाना जाता है। और भारत के सभी व्रत और त्यौहार हमारी संस्कृति और अनोखी परम्पराओं को आने वाली नई पीड़ियों तक पहुंचाने का एक बहुत ही सरल माध्यम है। हमारा देश सदभावना और त्योहारो का देष है। Ahoi ashtami का त्यौहार भी यहाँ के मुख्य त्यौहारों में से एक है। भारत में Ahoi ashtami का त्यौहार मुख्य रूप से उत्तर भारत की महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। भारतीय परम्पराओ के अनुसार अहोई अष्टमी का व्रत व त्यौहार मातायें अपने पुत्रो के सुखी मंगलमयी जीवन और दीर्घ आयु के लिए करती हैं।
Ahoi ashtami का व्रत कब मनाया जाता है ?
अक्टूबर का महीना प्रारम्भ होते ही भारतवर्ष में त्यौहारो का जोरदार आवागमन आरम्भ हो जाता है। अक्टूबर के माह को भारतीय पंचाग के अनुसार कार्तिक का महीना भी कहा जाता है। अहोई अष्टमी का त्यौहार कार्तिक माह की अष्टमी तिथि को मनाया जाता हैं। इस वर्ष ahoi ashtami का त्योहार 17 अक्टूबर दिन सोमवार को मनाया जायेगा । भारतीय धार्मिक परम्परा के अनुसार ahoi ashtami के दिन माता पार्वती और भगवान शंकर जी की पूजा करने से सब प्रकार की मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं। लोगो मे अहोई अष्टमी की मान्यता के अनुसार जिस स्त्री के बच्चे गर्भावस्था में ही मर जाते है इस व्रत को करने से उनकी सभी मनोकामनाए पूरी हो जाती है। Karwa Chauth 2022 क्यों होने वाली है स्पेशल
कैसे मनाते हैं ahoi ashtami का त्यौहार ?
Ahoi ashtami व्रत को रखने वाली मातायें प्रात: काल उठकर स्नान करने के बाद एक नये मिटटी के वर्तन में जल को भरकर रखती है। उसके बाद ahoi ashtami का मन में ध्यान रखकर व्रत को धारण करती है। उसके बाद सारा दिन बिन अन्न खाये पूरा दिन रहती है।उसके बाद सायं के समय एक दीवार पर सेह और उसके सात बच्चों का चित्र बनाकर उस चित्र के आगे घी का दीपक जलाकर पूजा व आरती कि जाती है।
Ahoi ashtami के व्रत के दिन मातायें गले में चांदी की बनी हुई ahoi ashtami की माला को जिसमे चांदी के मोती डाले हुए होती है ,अपने गले में धारण किये हुए रहती है।इस व्रत पर शिव और पार्वती जी की पूजा गाय माता के घी में हल्दी को मिलाकर दीपक को अष्टमी पूजा के स्थान पर जलाने केसर और रोली चढाने, से किसी कन्या को खीर व गरीब को दान देने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं तथा माता गौरी को अपने पुत्रों के जीवन में आने वाली समस्या से बचाने के लिए पीले रंग के फूल को आवश्य चढायें।
Ahoi ashtami के त्यौहार पर मातायें निर्जला व्रत भी रखती है। धार्मिक परम्पराओं के आधार के अनुसार जो भी स्त्री माता अहोई के इस पावन व्रत को करती है उसे शीघ्र ही संतान सुख की प्राप्ति हो जाती है। इस व्रत के दिन माता ahoi ashtami का पूरे मन से ध्यान करने से व्रत का पूरा फल मिलता हैं। संतान प्राप्ति के लिए निसंतान स्त्रीयां भी इस व्रत को करती है
Ahoi ashtami मनायें जाने के विषय में प्रचलित कहानियॉ
भारत वैदिक परम्पराओं का धनी देश है यहां हर त्यौहार का अपना एक विशेष ही महत्व है तथा हर व्रत के पीछे कोई न कोई धार्मिक कहानी छिपी हुई है ahoi ashtami के बारे में भी यहां विभिन्न धार्मिक कथाएं प्रचलित है कहा जाता है कि बहुत पुराने समय पहले एक साहूकार था । उस साहूकार के सात पुत्र और एक पुत्री थे। साहूकार के पुत्रों का विवाह हो जाने के कारण सात पुत्र वधु भी थी।
साहूकार कि पुत्री साहूकार के घर पर दीपावली या किसी अन्य कारण से आयी हुई थी। दीपावली के शुभ अवसर पर घर को सजाने लीपने पोतने के लिए साहूकार की सातो पुत्र वधुओ के साथ उसकी पुत्री भी जंगल से मिटटी लाने के लिए गयी। जंगल में जहां साहूकार कि पुत्री मिटटी खोद रही थी उसी जगह सेह भी अपने बच्चों के साथ रहती थी। साहूकार की पुत्री से गलती से मिटटी खोदते हुए खुरपी सेह के बच्चे को लग गयी और सेह का बच्चें की मृत्यु हो गयीं। इस पर सेहू गुस्से से साहूकार की पुत्री से कहा कि मैं तुम्हारी कोख को बांध दूंगा।
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सेह की बात को सुनकर साहूकार कि पुत्री ने सातो भाभियो से उसके बदले कोख को बँधवाने का निवेदन किया इस पर उसकी सबसे छोटी भाभी तैयार हो गयी। लेकिन इसके बाद साहूकार कि सबसे छोटी पुत्र वधु के सातों पुत्र एक एक करके मर गये। इसके बाद उसने पंडित को बुलाकर इसका कारण पूछा पंडित जी ने साहूकार की पुत्र वधु को सुरही गाय की सेवा करने को कहा। साहूकार की छोटी बहू ने सुरही गाय कि खूब सेवा की। सुरहि गाय साहूकार की पुत्रवधु कि सेवा से खुश होकर छोटी बहू को सेह के पास ले जाती है। रास्ते में जाते हुए दोनों थक जाते है और आराम करने लगती है।
छोटी बहू ने अचानक देखा कि एक सांप रूण के बच्चों को डसने वाला है तो उसने सांप को मार दिया। खून को देखकर गरूण ने सोचा कि बहू ने मेरे बच्चे को मार दिया है। इस पर वह छोटी बहू को चोंच मारने लगती है। परन्तु इस पर छोटी बहू ने कहा कि उसने बच्चे की जान बचाई है। इस पर गरूण पंखनी खुश हुई और सुरही गाय और साहूकार कि छोटी बहू को सेह के पास पहुंचा दिया। सेहू छोटी बहू कि सेवा से बहुत प्रसन्न हुई। और साहूकार की बहू को सात पुत्रो की माता होने का वरदान दे देती है।
Ahoi ashtami के विषय में दूसरी कथा
Ahoi ashtami मनाये जाने के संम्बन्ध में एक और धार्मिक कहानी बताई जाती है कहा जाता है कि एक महिला किसी गाव मे अपने सात पुत्रों के साथ रहती थी। कार्तिक माह मे एक दिन वह मिटटी खोदने के लिये जंगल में गयी। वहॉ गलती से उसने षेर के बच्चे की हत्या कर दी। इस घटना के बाद उसके सातों पुत्रों कि मौत हो गयी। अपने सातों पुत्रों की मृत्यु के बाद दु:खी होने पर उसके द्वारा हुए शावक की मौत की घटना को उसने गाव की सभी स्त्रियो को सुनाई। इस पर गॉंव की एक बहुत बूढी महिला ने उसको बताया कि वह माता ahoi ashtami की पूजा व व्रत करे।
उसके बाद उस महिला ने पश्चात करते हुए शावक के चित्र को माता अश्टमी की पूजा के साथ रखा और लगातार सात वर्षों तक पूजा की। उसके बाद उसके सातों पुत्र जीवित हो गये। krishna janmashtami 2022
वर्ष 2022 में Ahoi ashtami की पूजा का शुभ समय
इस साल ahoi ashtami की पूजा और व्रत 17 अक्टूबर सोमवार के दिन सुबह लगभग 9 बजकर 30 मिनट से शुरू होकर सुबह 18 अक्टूबर लगभग 12 बजे तक रहेगा। और चंद्रमा का उदय 11 से 12 बजे के बीच रहेगा। जबकि तारे 6 बजकर 15 मिनट पर देखे जा सकेंगे।
Ahoi ashtami के दिन क्या करे
- सुबह सूर्य के निकलने से पहले उठे और स्नान करे तथा पूजा पाठ करे। और एक मिटटी के बर्तन में जल को भरकर रखें।
- पूरे दिन बिन कुछ खाये व्रत को रखे।
- ahoi ashtami जी की तस्वीर को पूजा करने के स्थान पर रखे।
- सायं के समय अपने बच्चों के साथ बैठकर माता ahoi ashtami का ध्यान करें।
- और रात्री के समय तारों के निकलने पर ahoi ashtami जी को भोग लगाये तथा जल देकर व्रत को खोलें।
- अहोइ अष्टमी के दिन क्या ना करें.
- ahoi ashtami के पवित्र त्यौहार के दिन इस व्रत को करने वाली माताएं क्रोध बिल्कुल भी ना करें।
- व्रत करने वाली सि़्त्रयां अहोइ अष्टमी के दिन धारदार चीजों जैसे कुदाल फाबडा, सुई का प्रयोग बिल्कुल भी ना करे।
- ahoi ashtami का व्रत रखने वाली स्त्री को व्रत के दिन सोना बिल्कुल नही चाहिए।
- ahoi ashtami के दिन तारों को देखकर ही व्रत का पूजन करे।
माता Ahoi ashtami जी की आरती……
तुमको निसदिन ध्यावत हरि विष्णु धाता।।
ब्रहमाणि रूद्राणि कमला तू ही है जग दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत नित मंगल पाता ।।
तू ही है पाताल बसंती तू ही है सुख दाता।
कर्म प्रभाव प्रकाषक जगनिधि से त्राता।।
जिस घर थारों वास वही में गुण आता।
कर न सके सोई कर ले मन नही घबराता ।।
तुम बिन सुख न होवे पुत्र न कोइ्र पाता ।
खान पान का वैभव तुम बिन नही आता।।
षुभ गुण सुन्दर युक्ता क्षीर निधि जाता ।।
श्रतन चतुर्दष तोकू कोई नही पाता ।
श्री अहोई मॉं की आरती जो कोई गाता ।
डर उमंग अति उपजे पाप उतर जाता ।।”
Ahoi ashtami व्रत को करने के लाभ
धार्मिक परम्पराओं और प्राचीन कथाओं के प्रचलन की दृष्टि से माता ahoi ashtami के इस व्रत को करने से संतान का सुख व उनके सुखी जीवन का aashirvaad ईश्वर से प्राप्त होता हैं।
वैज्ञानिकों का व्रतों को लेकर अपना ही विषेश मत है वैज्ञानिकों के अनुसार त्यौहारो पर घरो और आस पास की गंदगी की साफ सफाई अच्छें से होने के वजह से बर्शात के मौसम में पैदा हुए कीडे मकोडों की मौत हो जाने से वातावरण साफ और स्वच्छ हो जाता है। जिससे वातावरण में प्राणदायनी वायु आक्सीजन की मात्रा बढ जाती है। जो हमे लम्बे समय तक स्वस्थ रखती है। व्रतों को करने से षुगर, मोटापा, बीपी, जैसी घातक बीमारियो के बढने का खतरा कम हो जाता है। इस प्रकार व्रत को करने से हमारे लीवर को बहुत आराम मिलता है। इस तरह व्रत व पूजन करने से हमारे जीवन में अनेकों प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष लाभ मिलतें है।
अहोई व्रत को करने से मिलने वाली शिक्षा
अहोइ्र्र अश्टमी व्रत को करने से हमें यह सीख मिलती है कि विपरीत परिस्थियो के होने पर भी यदि हमें किसी ना होने बाले कार्य को पूरी निश्ठा मेहनत और लगन से करते हैं तो उसका परिणाम अत्यन्त लाभकारी और सुखदायी होता है। ahoi ashtami का तो मतलब ही यह होता है अनहोनी को होनी बनाना। (sponsor: up scholarship)
Ahoi ashtami की हार्दिक शुभकामनाएं